संविधान दिवस: मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर हुई जागरूकता गोष्ठी – tajupdate.in
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संविधान दिवस: मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर हुई जागरूकता गोष्ठी

संविधान दिवस के अवसर पर युवा अधिवक्ता संघ और अधिवक्ता सहयोग समिति ने एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस गोष्ठी में संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों और शिक्षा के अधिकार की रक्षा पर चर्चा की गई। गोष्ठी का उद्देश्य समाज में जागरूकता बढ़ाना और संविधान के प्रति सम्मान उत्पन्न करना था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए हमें संविधान में दिए गए अधिकारों का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना व इन्हें सुरक्षित रखना वकीलों की जिम्मेदारी है।

इस गोष्ठी का संचालन युवा अधिवक्ता संघ के मण्डल अध्यक्ष नितिन वर्मा ने किया। उन्होंने संविधान के ऐतिहासिक महत्व पर रोशनी डाली। नितिन ने कहा कि हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। उन्होंने बताया कि समाज में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं।

गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता एम.के. शर्मा ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा केवल अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने जोर दिया कि वकीलों को इस दिशा में हमेशा अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। सुरेंद्र सिंह और रविंद्र कुमार सिंह जैसे अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। उनका कहना था कि आज के समय में संविधान का पालन करना और करवाना सभी के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।

गोष्ठी में मौजूद अधिवक्ताओं ने समाज में व्याप्त असमानता और भेदभाव के मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार जैसे समानता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे समाज के आधार स्तंभ हैं। यदि इन अधिकारों का सही उपयोग हो, तो समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

सिकंदर सहेरा, विनोद कुमार सिंह, मनीष अहलावत और देव कुमार जैसे अन्य प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। इस गोष्ठी के दौरान युवा अधिवक्ताओं ने संकल्प लिया कि वे संविधान की रक्षा के लिए अपनी पूरी क्षमता से काम करेंगे।

कार्यक्रम में कृपाल सिंह ने कहा कि संविधान दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाने का दिन है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे संविधान को केवल पढ़ें ही नहीं, बल्कि इसके महत्व को समझें और अपने दैनिक जीवन में लागू करें।

इस गोष्ठी ने न केवल मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि अधिवक्ताओं को उनके कर्तव्यों की याद भी दिलाई। इस आयोजन ने साबित किया कि यदि हर व्यक्ति संविधान को समझे और उसके अनुसार चले, तो समाज से कई बुराइयों को खत्म किया जा सकता है।

इस प्रकार, संविधान दिवस पर आयोजित इस विचार गोष्ठी ने संविधान की अहमियत को एक बार फिर से उजागर किया। युवा अधिवक्ताओं और वरिष्ठ वकीलों ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया।

निष्कर्ष:
संविधान दिवस का यह आयोजन केवल एक चर्चा भर नहीं था। यह एक ऐसा प्रयास था, जिसने समाज में जागरूकता लाने और संविधान की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में शामिल सभी अधिवक्ताओं ने संविधान को बनाए रखने और इसके महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

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