आगरा की हवा पर बड़ा सवाल: क्या प्रदूषण के आंकड़े बन रहे फर्जी? – tajupdate.in
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आगरा की हवा पर बड़ा सवाल: क्या प्रदूषण के आंकड़े बन रहे फर्जी?

आगरा में प्रदूषण को लेकर एक और बड़ा विवाद सामने आया है। हाल ही में नगर निगम के उपकरणों पर पानी की बौछार के जरिए एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) को कम दिखाने का मामला उजागर हुआ था। अब ताजमहल के पास तीन अलग-अलग विभागों के आंकड़ों में भारी अंतर पाया गया है। यह अंतर इतना बड़ा है कि आम लोगों के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि किस डेटा पर भरोसा करें।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नवंबर के लिए ताजमहल के पास वायु गुणवत्ता के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों की तुलना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और स्मार्ट सिटी परियोजना के सेंसरों से किए गए डेटा से की गई। नतीजतन, तीनों विभागों के प्रदूषण आंकड़ों में दो से तीन गुने का अंतर देखने को मिला।

दिवाली के बाद उत्तर भारत में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। बावजूद इसके, आगरा के कुछ हिस्सों में हवा की गुणवत्ता कागजों पर बेहतर दिखाने की कोशिश की गई। अमर उजाला ने नगर निगम की छत पर लगे उपकरणों पर पानी की बौछार का खुलासा किया। इसके बाद से ताजमहल क्षेत्र के आंकड़ों पर सवाल उठने लगे।

तीनों विभागों के आंकड़े अलग-अलग क्यों?

केंद्रीय बोर्ड ताजमहल के पश्चिमी गेट पर बने लैब में मैनुअल फिल्टर पेपर से प्रदूषण का आंकलन करता है। वहीं, यूपीपीसीबी ने शाहजहां पार्क के पेड़ों से घिरे इलाके में ऑटोमेटिक स्टेशन लगाया है। स्मार्ट सिटी परियोजना के सेंसर पुरानी मंडी चौराहे पर लगाए गए हैं, जो पीएम कणों और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषण तत्वों को मापते हैं। लेकिन तीनों के डेटा में बड़ा अंतर है, जो असमंजस पैदा कर रहा है।

डेटा में अंतर: किस पर करें भरोसा?

10 से 19 नवंबर तक के आंकड़ों पर गौर करें तो केंद्रीय बोर्ड के अनुसार 7 दिन वायु की गुणवत्ता खराब रही। वहीं, यूपी बोर्ड के आंकड़ों में केवल 2 दिन हवा खराब बताई गई। स्मार्ट सिटी परियोजना के अनुसार पूरे 10 दिन खतरनाक स्थिति थी।
ताजमहल क्षेत्र में एक्यूआई का तुलनात्मक डेटा:

  • 10 नवंबर: सीपीसीबी 166, यूपीपीसीबी 72, स्मार्ट सिटी 316
  • 11 नवंबर: सीपीसीबी 236, यूपीपीसीबी 80, स्मार्ट सिटी 307
  • 18 नवंबर: सीपीसीबी 454, यूपीपीसीबी 307, स्मार्ट सिटी 406

पर्यावरणविदों की चिंता

पर्यावरणविद डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने कहा कि इस तरह के विरोधाभासी आंकड़े जनता को भ्रमित कर रहे हैं। टीटीजेड चेयरमैन को इस मामले में जांच करनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सही आंकड़े कौन से हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि हवा खराब है तो बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की जाए।

डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने टीटीजेड अथॉरिटी को पत्र लिखा है और तीनों विभागों के बीच अंतर स्पष्ट करने की मांग की है। यदि स्थिति जल्द स्पष्ट नहीं हुई तो वह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेंगे।

प्रदूषण नियंत्रण की जरूरत

यह मामला इस ओर इशारा करता है कि आगरा में वायु गुणवत्ता मापन की प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। सही डेटा के अभाव में न तो सरकार प्रभावी नीतियां बना सकती है और न ही लोग अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तीनों विभागों के आंकड़ों की गहन जांच होनी चाहिए।

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