आगरा के ऐतिहासिक किले में उस समय हड़कंप मच गया जब पर्यटकों ने करीब छह फीट लंबे अजगर को देखा। ये अजगर एक लाइट पोल के पास आराम कर रहा था। इसे देखकर लोग डर गए और किले के सुरक्षाकर्मियों को जानकारी दी। तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस की रैपिड रिस्पांस टीम को बुलाया गया। टीम के दो सदस्य मौके पर पहुंचे और अजगर को रेस्क्यू किया। उन्होंने पहले अजगर के आसपास से लोगों को हटाया ताकि कोई हादसा न हो। इसके बाद अजगर को सुरक्षित कपड़े के थैले में रखा।
रेस्क्यू के बाद अजगर का मेडिकल चेकअप किया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि अजगर पूरी तरह से स्वस्थ है। बाद में इसे जंगल में छोड़ दिया गया।
फाउंड्री नगर में मिला 8 फीट का अजगर
इससे पहले, फाउंड्री नगर इलाके में एक और अजगर दिखाई दिया था। ये अजगर करीब आठ फीट लंबा था और एक फैक्ट्री के अंदर देखा गया। यह फैक्ट्री डीजल इंजन और स्पेयर पार्ट्स बनाने का काम करती है। फैक्ट्री के कर्मचारियों ने तुरंत वाइल्डलाइफ एसओएस को सूचना दी। टीम ने वहां पहुंचकर अजगर को सुरक्षित रेस्क्यू किया और जंगल में छोड़ दिया।
अजगर हैं गैर विषैले, प्रकृति के लिए जरूरी
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि इंडियन रॉक पायथन, जिसे हम अजगर कहते हैं, पूरी तरह से गैर विषैले होते हैं। ये इंसानों के लिए खतरा नहीं हैं। अजगर छोटे जानवरों जैसे चूहे, पक्षी, हिरण और सूअर का शिकार करते हैं। ये पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी हैं क्योंकि ये जैविक संतुलन बनाए रखते हैं।
कार्तिक ने यह भी बताया कि इंडियन रॉक पायथन मुख्य रूप से भारत, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका के जंगलों में पाए जाते हैं। ये सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत संरक्षित हैं। इसका मतलब है कि इन्हें नुकसान पहुंचाना या मारना कानूनन अपराध है।
अजगर दिखे तो तुरंत दें जानकारी
कार्तिक सत्यनारायण ने जनता से अपील की है कि अगर किसी को अजगर या कोई अन्य जंगली जानवर दिखे, तो घबराएं नहीं। वाइल्डलाइफ एसओएस की क्विक रिस्पांस टीम को तुरंत कॉल करें। उनका मोबाइल नंबर 9917109666 है। टीम जानवर को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करती है और उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ देती है।
पर्यटकों की जागरूकता है जरूरी
वाइल्डलाइफ टीम ने कहा कि पर्यटकों को इन घटनाओं से डरने की जरूरत नहीं है। ऐसे मामलों में सूझबूझ और संयम रखना चाहिए। अजगर जैसे सांप अपने बचाव के लिए आक्रमण कर सकते हैं, लेकिन वे स्वाभाविक रूप से इंसानों से डरते हैं। इसलिए घबराकर इन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करें।
वाइल्डलाइफ एसओएस का योगदान
वाइल्डलाइफ एसओएस पर्यावरण संरक्षण और जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए काम करता है। संस्था की रैपिड रिस्पांस टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंचती है और जानवरों को सुरक्षित बचाती है। वे न सिर्फ इन जानवरों का मेडिकल परीक्षण करते हैं, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ते भी हैं।
