आगरा मंडल के डीआईजी स्टांप राम अकबाल सिंह के खिलाफ शासन ने सख्त कार्रवाई की है। बिना अनुमति के थाईलैंड और नेपाल की यात्रा पर जाने के आरोप में उन्हें निलंबित कर दिया गया। इस मामले में स्टांप एवं निबंधन विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने निलंबन का आदेश जारी किया है। निलंबन के दौरान उन्हें प्रयागराज मुख्यालय से संबद्ध किया गया है। उनका रिटायरमेंट 31 दिसंबर को होने वाला था, लेकिन उससे पहले ये कार्रवाई उनके लिए बड़ा झटका बन गई।
डीआईजी राम अकबाल सिंह पर आरोप है कि उन्होंने शासन से अनुमति लिए बिना विदेश यात्राएं कीं। अगस्त 2024 में इस मामले के सामने आने के बाद उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था। हालांकि, उन्होंने इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया, जहां से उन्हें स्टे मिल गया। लेकिन बीते चार महीनों से उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी थी। मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने भी उनके खिलाफ शिकायत शासन को भेजी थी, जिसके बाद जांच में उनकी विदेश यात्राओं की जानकारी सामने आई।
जांच अधिकारी लगातार उनसे पासपोर्ट की मांग कर रहे थे, लेकिन डीआईजी ने पासपोर्ट उपलब्ध नहीं कराया। यह भी सामने आया कि उन्होंने पासपोर्ट के खोने की कोई रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं कराई। विदेश यात्रा में पासपोर्ट बेहद जरूरी दस्तावेज होता है, और इसे जमा न कर पाने की वजह से उनकी जांच में सहयोग न करने की बात भी सामने आई।
शासन के नियमों का उल्लंघन
राम अकबाल सिंह पर सरकारी सेवक आचरण नियमावली के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। शासन ने माना कि उन्होंने अपने पद के दायित्वों का सही तरीके से निर्वाहन नहीं किया। उनके खिलाफ आरोपपत्र प्रस्तुत किया गया और विभागीय जांच की सिफारिश की गई। प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने निलंबन का आदेश जारी करते हुए कहा कि उन्हें निलंबन अवधि में केवल जीवन निर्वाहन भत्ता मिलेगा।
इस मामले में और भी आरोप सामने आए हैं। कहा जा रहा है कि डीआईजी स्टांप ने निलंबन के बाद भी बैक डेट में स्टांप कमी के मामलों का निस्तारण किया। यह मामला भी शासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
पद से हटाए जाने के बाद की घटनाएं
अगस्त 2024 में पद से हटाए जाने के बाद भी डीआईजी ने हाईकोर्ट से स्टे लेकर कार्रवाई को रोकने की कोशिश की। इसके बावजूद, विभागीय जांच जारी रही। जांच के दौरान उन्होंने बार-बार जांच अधिकारियों के सवालों का जवाब देने में टालमटोल की। पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज जमा न करने से उनकी स्थिति और कमजोर हो गई। शासन ने इसे उनके कर्तव्यों के प्रति लापरवाही माना और उन्हें निलंबित कर दिया।
रिटायरमेंट से महज कुछ दिन पहले इस कार्रवाई ने राम अकबाल सिंह की छवि पर गहरा असर डाला है। शासन ने उनके खिलाफ आगे की जांच जारी रखने की बात कही है। इस मामले ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सख्त संदेश भी दिया है कि पद का दुरुपयोग और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
