फिरोजाबाद ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड: 35 साल बाद दोषी को उम्रकैद, अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला – tajupdate.in
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फिरोजाबाद ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड: 35 साल बाद दोषी को उम्रकैद, अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

फिरोजाबाद के बहुचर्चित ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड में 35 साल बाद न्याय की तस्वीर साफ हो गई है। अदालत ने इस मामले में दोषी संजय दीक्षित को उम्रकैद और 75 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। वहीं, सबूतों के अभाव में सह-आरोपी अशोक दीक्षित को बरी कर दिया गया। तीसरे आरोपी अजय उर्फ पप्पू दीक्षित की पत्रावली अलग कर दी गई है।

यह मामला 25 अगस्त 1989 का है। फिरोजाबाद के गांधी नगर निवासी ब्लॉक प्रमुख चौधरी सनक सिंह यादव और उनके अंगरक्षक श्रीनिवास पर गोपाल आश्रम मंदिर में घात लगाकर हमला किया गया था। सुबह 10:30 बजे पूजा के दौरान संजय दीक्षित, अजय उर्फ पप्पू दीक्षित और अन्य ने गोलियां बरसाईं। इस हमले में श्रीनिवास को छह और सनक सिंह को दो गोलियां लगीं। श्रीनिवास ने सात दिन बाद दम तोड़ दिया, जबकि सनक सिंह की डेढ़ साल बाद इलाज के दौरान मौत हो गई।

अपराध के 35 साल बाद आया फैसला

चार दिसंबर 1989 को पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन बाद में अजय ने घटना के समय खुद को भिंड जेल में बंद होने का साक्ष्य प्रस्तुत किया। इस पर अदालत ने उसकी पत्रावली अलग कर दी। 15 अप्रैल 1993 को अजय के खिलाफ फिर से चार्जशीट दाखिल हुई।

मुकदमे की सुनवाई में कई बाधाएं आईं। अधिवक्ता मोहित यादव ने बताया कि तत्कालीन एडीजीसी जमील मिर्जा ने केस डायरी सीजेएम को सुपुर्द नहीं की थी। इसके बावजूद अदालत ने प्रत्यक्षदर्शी राम स्नेही और वादी बिजेंद्र पाल की गवाही को महत्वपूर्ण मानते हुए संजय दीक्षित को दोषी करार दिया।

साक्ष्य की कमी और आरोपियों की स्थिति

मुकदमे के दौरान ठोस साक्ष्यों की कमी के चलते अशोक दीक्षित को अदालत ने बरी कर दिया। संजय दीक्षित को दोषी ठहराते हुए अतिरिक्त जिला जज (एडीजे)-15 राजीव कुमार पालीवाल ने सजा सुनाई। वहीं, अजय उर्फ पप्पू की पत्रावली अलग होने के कारण उसकी सुनवाई अलग से की जाएगी।

यह फैसला उन लोगों के लिए एक संदेश है जो न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास करते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों और वादी के दृढ़ रुख ने इस मामले को न्याय तक पहुंचाया।

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