आगरा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 67 लाख रुपये का लोन लेने के बाद आरोपियों ने बड़ी चालाकी से उस संपत्ति को बेच दिया, जो उन्होंने बैंक में गिरवी रखी थी। बैंक प्रबंधन की ओर से यह मामला कोर्ट में ले जाया गया। कोर्ट के आदेश पर एत्माद्दौला थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
शुरुआत में 1 अप्रैल 2013 को फर्म मेसर्स यू-3 एस वेंचर की पार्टनर सीमा मोहन सक्सेना ने एबीएल योजना के तहत बैंक से 67 लाख रुपये का लोन लिया। इस लोन के लिए तीन प्लॉट बैंक में गिरवी रखे गए। सीमा मोहन, सुनीरा सक्सेना और ऋषभ मोहन सक्सेना इस फर्म के साझीदार थे। बैंक से मिली जानकारी के अनुसार, इन लोगों ने बैंक की क्रेडिट सुविधाओं का भी जमकर इस्तेमाल किया। बाद में, 10 लाख और 2.95 लाख रुपये के दो अतिरिक्त लोन भी इन्हीं प्लॉट्स को गिरवी रखकर लिए गए।
समय पर पैसे नहीं चुकाने के चलते 28 जून 2021 को यह खाता एनपीए घोषित कर दिया गया। इसके बाद बैंक ने रकम की वसूली के लिए आरोपियों से संपर्क किया। लेकिन आरोपियों ने कोई समाधान नहीं निकाला। जब बैंक ने अपनी तहकीकात शुरू की तो यह खुलासा हुआ कि आरोपियों ने लोन चुकाने से पहले ही बैंक में गिरवी रखी संपत्ति को बेच दिया था।
बैंक ने कोर्ट में लगाया धोखाधड़ी का आरोप
जब मामला और गंभीर हुआ, तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। एसीजेएम-8 दीपांकर यादव की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। इस पर सुनवाई के बाद अदालत ने एत्माद्दौला थाना पुलिस को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और मामले की जांच के आदेश दिए।
कोर्ट में दायर किए गए दस्तावेजों से पता चला कि आरोपियों ने बैंक को लोन के लिए जो संपत्ति गिरवी रखी थी, उसे धोखाधड़ी से बेच दिया। यह खुलासा होने के बाद बैंक की ओर से आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई। बैंक पैनल के अधिवक्ता की ओर से की गई जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि गिरवी रखी गई संपत्ति की बिक्री के दौरान बैंक को सूचित नहीं किया गया था।
बैंक की कार्रवाई और पुलिस जांच की तैयारी
इस मामले में एत्माद्दौला थाना क्षेत्र की नुनिहाई स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा के प्रबंधक ने साफ किया कि फर्म मेसर्स यू-3 एस वेंचर ने न केवल बैंक के नियमों का उल्लंघन किया बल्कि धोखाधड़ी भी की। अब पुलिस जांच के दौरान यह स्पष्ट किया जाएगा कि संपत्ति की बिक्री में कौन-कौन शामिल थे और आरोपियों ने यह कदम क्यों उठाया।
बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला है, जिसमें न केवल बैंक का भरोसा तोड़ा गया बल्कि आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया गया। इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जा रही है।
आरोपियों की ओर से अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं आया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस धोखाधड़ी में और भी लोग शामिल थे।
