आगरा में मेट्रो की खुदाई से मकानों में दरार, 1700 परिवार बेघर, लोग डरे-सहमे – tajupdate.in
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आगरा में मेट्रो की खुदाई से मकानों में दरार, 1700 परिवार बेघर, लोग डरे-सहमे

आगरा में मेट्रो रेल परियोजना के चलते हज़ारों लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं। मोती कटरा और सैय्यद गली इलाकों में लगभग 1700 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। लोगों के पुश्तैनी घर अब रहने लायक नहीं रहे। हालात इतने गंभीर हैं कि कई मकानों को गिरने से बचाने के लिए लोहे के जैक लगाए गए हैं। कई परिवार अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों, होटलों या किराए के मकानों में रहने पर मजबूर हो गए हैं।

मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत आगरा कॉलेज से मनकामेश्वर मंदिर स्टेशन तक 2 किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड सुरंग बनाई जा रही है। इस सुरंग के निर्माण के लिए 100 से 150 फीट गहराई तक खुदाई की गई है। इस काम की शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी। शुरू में कुछ ही मकानों में दरारें आईं, लेकिन जैसे-जैसे सुरंग बनाने का काम आगे बढ़ा, मोती कटरा और सैय्यद गली के 1700 से ज्यादा मकानों में दरारें आ गईं।

इन इलाकों में अधिकतर मकान 100 साल से भी पुराने हैं। लोग समय-समय पर मरम्मत कराते रहे हैं, लेकिन मेट्रो के निर्माण के कारण इन घरों की नींव कमजोर हो गई। कई परिवारों का कहना है कि रात में जब खुदाई की मशीन चलती है, तो ऐसा लगता है कि घर कभी भी गिर सकता है। लोग रातों की नींद खो चुके हैं।

मेट्रो परियोजना से जुड़े अधिकारी निरीक्षण के लिए आते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। इसके बावजूद खुदाई का काम लगातार जारी है। कुछ घर इतने क्षतिग्रस्त हो चुके हैं कि उन्हें लोहे के जैक लगाकर खड़ा रखा गया है।

मकानों में दरारें और लोगों का पलायन

सैय्यद गली की रहने वाली ओमवती शर्मा ने कहा कि पिछले दो महीनों से किराए के मकान में रह रही हैं। मेट्रो की वजह से उनका घर रहने लायक नहीं रहा। प्रियंका, जो इसी मोहल्ले में रहती हैं, का कहना है कि मकानों की दरारें भले ही भरी जा रही हैं, लेकिन जमीन का लेवल ऊपर-नीचे हो गया है। दरवाजे और खिड़कियां तक नहीं खुल रही हैं।

राजकुमार वर्मा ने बताया कि उनके घर में भी गहरी दरारें आ चुकी हैं। मेट्रो की खुदाई उनके मकान से मात्र 22 मीटर की दूरी पर हो रही है। घर के लोग अब रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर हैं। रमेश कुमार वर्मा ने शिकायत की कि उनके पूरे मकान को नुकसान पहुंचा है।

खुदाई का तरीका और अधिकारियों की सफाई

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल परियोजना के PRO पंचानन मिश्रा ने बताया कि सुरंग बनाने के लिए टीबीएम (Tunnel Boring Machine) का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित है। लखनऊ और कानपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में भी इसी तकनीक से काम किया गया था।

उनका कहना है कि टीबीएम जमीन से 17 मीटर नीचे काम करती है और वाइब्रेशन का असर जमीन की सतह पर बहुत कम होता है। जो मकान पहले से कमजोर थे, उन्हीं में दरारें आई हैं। इन मकानों को रिपेयर कराया गया है। जिन घरों के नीचे से टीबीएम गुजर रही है, उन परिवारों को कुछ दिनों के लिए मकान खाली करने और मुआवजे के साथ होटलों में ठहरने का इंतजाम किया गया है।

लोगों की बढ़ती मुश्किलें

स्थानीय लोगों का कहना है कि मकानों में दरारों के बावजूद मेट्रो का काम बंद नहीं हुआ। लोहे के जैक लगने के बाद घर में सोने की भी जगह नहीं बची है। कई परिवारों को अपना पुश्तैनी घर छोड़कर दूसरे ठिकानों पर जाना पड़ा। कुछ मकानों में दरारें इतनी ज्यादा हैं कि उनका गिरना तय माना जा रहा है।

लोगों में डर है कि अगर मेट्रो की खुदाई जल्द पूरी नहीं हुई, तो और ज्यादा मकानों को नुकसान हो सकता है। मकानों की मरम्मत से समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो रहा है।

मेट्रो प्रोजेक्ट का भविष्य और उम्मीदें

पंचानन मिश्रा ने कहा कि जैसे ही टीबीएम अपना काम पूरा कर लेगी, समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मेट्रो प्रोजेक्ट का काम पूरी सुरक्षा के साथ चल रहा है और किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।

फिर भी, स्थानीय लोगों का डर और परेशानी बढ़ती जा रही है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और उन्हें जल्द राहत मिलेगी।

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