भारत-नेपाल से कोलंबिया तक फैला ठगी का जाल, 110 करोड़ की साइबर ठगी का बड़ा खुलासा – tajupdate.in
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भारत-नेपाल से कोलंबिया तक फैला ठगी का जाल, 110 करोड़ की साइबर ठगी का बड़ा खुलासा

पुलिस को हाल ही में एक और साइबर ठग सरगना की जानकारी मिली है, जिसने करीब 110 करोड़ रुपये की ठगी में अहम भूमिका निभाई थी। जांच में पता चला है कि ठगी की रकम भारत से नेपाल और फिर वहां से कोलंबिया के बैंकों में ट्रांसफर की गई। पुलिस जल्द ही इस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। यह गिरोह दुबई, हांगकांग, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया जैसे देशों में बैठकर ठगी को अंजाम दे रहा था। भारत में एजेंटों की मदद से खाते खुलवाए गए और केवल छह महीनों में 284 लोगों से करोड़ों रुपये लूटे गए।

इस मामले में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने दो दिसंबर को दिल्ली से नेपाली सरगना प्रेम साउद समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें प्रेम साउद उर्फ प्रेम बहादुर, जो एजेंटों का मुखिया था, भी शामिल है। प्रेम दिल्ली में रहकर यह रैकेट चला रहा था। गिरफ्तार आरोपियों में आईडीएफसी बैंक का मैनेजर अश्वनी कुमार, रवि कुमार सूर्यवंशी, अकबर और इमरान जैसे नाम भी सामने आए हैं। ये सभी गिरोह के अहम सदस्य थे और फर्जी खातों के जरिए ठगी की रकम को ट्रांसफर करते थे।

साइबर ठगों का हाई-प्रोफाइल नेटवर्क

ठगी के इस रैकेट का तरीका बेहद शातिर था। गिरोह ने भारत में कई एजेंट नियुक्त किए, जो फर्जी आईडी पर बैंक खाते खोलते थे। इन्हीं खातों के जरिए ठगी की रकम को दूसरे देशों में ट्रांसफर किया जाता था। पुलिस की जांच में सामने आया कि अक्टूबर में गिरोह ने आगरा के सिकंदरा इलाके के विनय शर्मा, ट्रांस यमुना कॉलोनी की सोनम गुप्ता और ओपी माधव से 38 लाख रुपये की ठगी की थी।

गिरफ्तार प्रेम साउद ने पूछताछ में बताया कि दुबई में उसका साथी हैरी और एलेक्स इस रैकेट के मास्टरमाइंड हैं। ये दोनों वहां से इस नेटवर्क को ऑपरेट कर रहे थे। पुलिस को अब एक और सरगना की जानकारी मिली है, जो एनसीआर में रहकर इस गिरोह से जुड़ा हुआ है। जल्द ही पुलिस उसे भी गिरफ्तार कर सकती है।

ठगी का पैसा कैसे पहुंचता था विदेश

पुलिस की जांच के अनुसार, ठगी के पैसे को पहले नेपाल के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता था। वहां से इसे कोलंबिया के बैंकों में भेजा जाता था। गिरोह ने ठगी के लिए डिजिटल ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया।

इस रैकेट में स्थानीय एजेंटों की भूमिका बेहद अहम थी। ये एजेंट गिरोह के लिए फर्जी खातों की व्यवस्था करते थे और ठगी के पैसे को ट्रांसफर करने में मदद करते थे। प्रेम साउद ने यह भी बताया कि उसने ठगी के लिए कई बार नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में रवि कुमार सूर्यवंशी और अश्वनी कुमार भी शामिल हैं, जो गिरोह के लिए बैंकिंग सहायता प्रदान करते थे।

साइबर क्राइम पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही इस बड़े रैकेट के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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