आगरा में नशे के लिए दवाओं की अवैध बिक्री के बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है। सैंया इलाके के उपाध्याय मेडिकल स्टोर पर डॉक्टरों के फर्जी नामों का इस्तेमाल कर नशे की दवाओं की कालाबाजारी हो रही थी। औषधि विभाग की जांच के बाद इस मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बुधवार को निरस्त कर दिया गया।
औषधि विभाग को इस गड़बड़ी की शिकायत मिली थी, जिसके बाद 5 नवंबर 2024 को औषधि निरीक्षक नवनीत कुमार यादव ने जांच शुरू की। छापेमारी में पाया गया कि संचालक सौरभ कुमार नींद और मानसिक रोगों की दवाओं का नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। इन दवाओं की खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड में भी अनियमितताएं सामने आईं। डॉक्टरों के नाम फर्जी तरीके से दर्ज किए गए थे, ताकि बिक्री को वैध दिखाया जा सके।
जांच में मेडिकल स्टोर से कई डॉक्टरों के पर्चे भी बरामद हुए। पर्चों पर लिखी दवाओं के अलावा, अन्य नशीली दवाओं की बिक्री भी हो रही थी। इससे यह स्पष्ट हुआ कि मेडिकल स्टोर पर दवाओं की कालाबाजारी की जा रही थी।
डॉक्टरों के फर्जी नामों का इस्तेमाल
जांच के दौरान कई दवाओं की खरीद-बिक्री के दस्तावेज मिले, जिनमें डॉक्टरों के नाम दर्ज थे। जब इन डॉक्टरों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने मरीजों को ऐसी दवाएं लिखने से साफ इनकार कर दिया। औषधि विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए मेडिकल स्टोर का लाइसेंस रद्द कर दिया।
तुरंत प्रभाव से कार्रवाई
छापेमारी के दौरान मेडिकल स्टोर की दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी गई। बिल और डॉक्टरों के पर्चों की प्रतियां बनाकर संबंधित चिकित्सकों के पास सत्यापन के लिए टीम भेजी गई। सत्यापन के बाद लाइसेंस निरस्त करने का फैसला लिया गया। औषधि विभाग ने यह भी साफ किया कि अगर दवाओं के भंडारण और बिक्री का प्रयास किया गया, तो संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी
औषधि विभाग ने मामले में थाने में तहरीर देकर पुलिस की मदद मांगी है। साथ ही, मेडिकल स्टोर के संचालक और इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस घटना के बाद इलाके के अन्य मेडिकल स्टोर भी औषधि विभाग की नजर में आ गए हैं।
