आगरा में एक रिटायर्ड नगर निगम कर्मचारी को टप्पेबाजों के गिरोह ने बड़ी चालाकी से ठग लिया। गिरोह ने खुदाई में सोने के जेवरात और पुराने सिक्के मिलने का झांसा देकर उनसे ढाई लाख रुपये ऐंठ लिए। जब सर्राफा बाजार में जांच करवाई गई, तो वह जेवर नकली निकले। इस मामले में पुलिस ने आगरा, इटावा, कानपुर और रायबरेली से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनसे दो लाख से ज्यादा नकद और नकली जेवरात बरामद हुए हैं।
कैसे हुआ मामला शुरू?
13 नवंबर को आगरा के बेलनगंज में रहने वाले सुरेंद्र कुमार, जो नगर निगम से रिटायर्ड हैं, को शंकर नाम का व्यक्ति मिला। उसने खुद को बिहार का मजदूर बताते हुए कहा कि उसे खुदाई के दौरान पुराने सिक्के मिले हैं। शंकर ने उन्हें कुछ सिक्के दिखाए और उनकी कीमत पूछने लगा। सुरेंद्र ने मजाक में सिक्कों की कीमत 30-40 रुपये बताई। इस पर शंकर ने उन्हें खरीदने की बात छेड़ी, लेकिन सुरेंद्र ने मना कर दिया।
शंकर ने जाते-जाते सुरेंद्र को एक सिक्का और अपना मोबाइल नंबर दिया। सुरेंद्र ने सिक्के को सर्राफ से चेक कराया, जो असली चांदी का निकला। इससे सुरेंद्र को यकीन हुआ कि शंकर के पास वाकई कुछ कीमती चीजें हैं।
सोने का झांसा और बड़ी ठगी
सिक्का असली निकलने के बाद सुरेंद्र ने शंकर को कॉल किया। शंकर ने उन्हें ट्रांसपोर्ट नगर बुलाया और एक सोने का हार दिखाया। विश्वास बढ़ाने के लिए उसने हार में से दो मोती तोड़कर जांच के लिए दिए। सर्राफ ने मोतियों को असली बताया।
इस पर सुरेंद्र को लगा कि यह बड़ा मुनाफे का सौदा हो सकता है। उन्होंने शंकर से बात की, जिसने दावा किया कि उसके पास 1 किलोग्राम के मोती हैं। सौदा 5 लाख रुपये में तय हुआ, और सुरेंद्र ने उसे ढाई लाख रुपये एडवांस दे दिए।
जब सुरेंद्र ने खरीदे गए हार को जांच के लिए सर्राफ को दिखाया, तो वह नकली निकला। इस बात से उनके होश उड़ गए। ठगे जाने का एहसास होते ही उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
गिरोह का तरीका और पकड़े गए आरोपी
पुलिस के मुताबिक, गिरोह का मास्टरमाइंड कन्हैया है। यह गिरोह ठगी के लिए नकली जेवरात का इस्तेमाल करता है। लोगों का भरोसा जीतने के लिए वे अपने पास असली सामान भी रखते हैं। वे अपने शिकार को यकीन दिलाने के लिए असली मोती या सिक्के जांच के लिए देते हैं।
पुलिस ने आगरा के थाना हरीपर्वत क्षेत्र में जाल बिछाकर गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में रामनगर निवासी मुकुल, इटावा के ग्राम बादरी पूठ निवासी कन्हैया, कानपुर के रामपुर भीमसेन निवासी शंकर और रायबरेली के रायपुर नहरिया रोड निवासी अर्जुन गोस्वामी शामिल हैं।
पहले भी कर चुके हैं ठगी
जांच में पता चला कि गिरोह पहले भी कई लोगों को ठग चुका है। मुख्य आरोपी शंकर 2019 में वाराणसी के थाना कोतवाली और लंका थाने में भी पकड़ा जा चुका है। सुरेंद्र से ठगी के बाद आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए।
पुलिस ने आरोपियों की कॉल डिटेल खंगाली तो पाया कि उन्होंने ग्वालियर समेत 15 और लोगों को इसी तरह निशाना बनाया था। ग्वालियर के एक युवक को सोने का असली मोती देकर बुलाया गया था, लेकिन आईएसबीटी पर पुलिस ने आरोपी पकड़ लिए।
बरामदगी और पुलिस की कार्रवाई
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने गिरोह के पास से 2.05 लाख रुपये नकद, 4 मोबाइल फोन, 5 सिम कार्ड, नकली सिक्के, चिमटी और प्लास जैसे उपकरण बरामद किए। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि गिरोह ने और कितने लोगों को ठगा है।
इस गिरोह की चालाकी से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि लालच में पड़ना भारी नुकसान करा सकता है। नकली और असली का खेल खेलने वाले ये ठग आम लोगों को आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं। पुलिस की सतर्कता से यह गिरोह तो पकड़ा गया, लेकिन लोगों को भी सावधान रहना चाहिए।
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