फिरोजाबाद के शिकोहाबाद में एक बीएससी की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत लेकर पहुंचे परिजनों को उस वक्त भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब पुलिस ने सच्चाई सामने रख दी। मामला प्रेम प्रसंग का निकला, जिसने पूरे घटनाक्रम का रुख ही बदल दिया। घटना ने पुलिस और समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे बिना जांच के आरोप लगाना किसी के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है।
जनपद आगरा के फतेहाबाद क्षेत्र की रहने वाली यह छात्रा अपने फूफा के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी। छात्रा बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा थी और अपने महाविद्यालय में एनसीसी के एक कार्यक्रम में जाने की बात कहकर सुबह 9 बजे घर से निकली थी। जब छात्रा रात तक घर नहीं लौटी, तो घरवालों की चिंता बढ़ गई। परिवार को लगा कि कुछ अनहोनी हो गई है।
शाम करीब 6:30 बजे छात्रा घर लौटी और आते ही बेहोश होकर गिर पड़ी। इस घटना ने परिजनों की चिंता को और बढ़ा दिया। छात्रा की हालत देखकर उन्होंने पुलिस के पास जाने का निर्णय लिया।
पुलिस जांच में सामने आई हकीकत
परिजन रात में छात्रा को लेकर थाने पहुंचे। वहां उन्होंने न केवल अपहरण की आशंका जताई, बल्कि सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोप लगाया। परिवार के आरोप गंभीर थे, जिससे पुलिस तुरंत हरकत में आई। लेकिन पुलिस ने प्राथमिक जांच शुरू की तो मामला पूरी तरह से उल्टा निकला।
जांच में पता चला कि छात्रा ने जो कहानी बनाई थी, वह पूरी तरह से झूठी थी। सामूहिक दुष्कर्म की बात बस एक बहाना थी। असल में, यह मामला एक प्रेम प्रसंग का था, जिसे छुपाने के लिए ऐसी कहानी गढ़ी गई थी। जब पुलिस ने सच्चाई बताई, तो परिजन अपना मुंह छिपाते हुए थाने से निकल गए।
छात्रा के साथ था प्रेम प्रसंग
पुलिस ने बताया कि छात्रा का अपने किसी दोस्त के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। वह दिनभर अपने दोस्त के साथ रही और देर शाम घर लौटी। बेहोशी का नाटक किया गया ताकि घरवालों के सवालों से बचा जा सके। हालांकि, यह नाटक ज्यादा देर तक नहीं चल सका।
छात्रा ने पहले अपने घरवालों से झूठ बोला और फिर पुलिस के पास पहुंचने के बाद भी सच्चाई छुपाने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की सख्ती और जांच ने पूरे मामले को स्पष्ट कर दिया।
समाज और परिवार को सीखने की जरूरत
इस घटना ने यह दिखा दिया कि कैसे बिना तथ्यों की पुष्टि किए आरोप लगाना गलत हो सकता है। सामूहिक दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगाने से पहले सतर्क रहना जरूरी है। ऐसे झूठे आरोप न केवल समाज में भ्रम फैलाते हैं, बल्कि असली पीड़ितों के लिए न्याय पाना भी मुश्किल बना देते हैं।
परिजनों को चाहिए कि वे अपने बच्चों से संवाद स्थापित करें। हर छोटी-बड़ी बात को समझने और सुलझाने का प्रयास करें। झूठी कहानियों से न केवल परिवार की बदनामी होती है, बल्कि कानून व्यवस्था का भी गलत इस्तेमाल होता है।
पुलिस ने इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया, क्योंकि मामला पूरी तरह से निजी था और इसमें कोई अपराध साबित नहीं हुआ। छात्रा को परिजन वापस अपने घर ले गए।
